सावन का महीना शिवभक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होता है. इस पवित्र समय में शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाकर भोलेनाथ को प्रसन्न करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. लेकिन अक्सर भक्त यह भ्रम पाल लेते हैं कि शिवलिंग पर पहले क्या अर्पित करना चाहिए – जल या बेलपत्र? इस सवाल का जवाब न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे आपकी पूजा की संपूर्णता और प्रभावशीलता भी जुड़ी होती है.

Sawan 2025: सावन शुरू होने से पहले जान लें बेलपत्र चढ़ाने के ये खास नियम, वरना फल से हो सकते हैं वंचित

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग पर पूजन की शुरुआत हमेशा जल से करनी चाहिए. खासकर अगर यह जल गंगा, यमुना जैसी किसी पवित्र नदी का हो, तो और भी शुभ फलदायी माना जाता है. जल अर्पण के बाद ही शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध, फूल आदि अर्पित करने चाहिए

किस दिन से शुरू हो रहा है सावन—

Sawan maas 2025 start and end date, shravan somvar Date List: कब शुरू हो रहा है श्रावण मास, कितने पड़ेंगे सावन सोमवार? जानें तारीख - News18 हिंदी

इस साल सावन का पावन महीना 11 जुलाई 2025 से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 तक चलेगा. उत्तर भारत में पूरिणमांत पंचांग के अनुसार सावन का महीना 11 जुलाई 2025 से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 तक रहेगा, और पहला सावन सोमवार 14 जुलाई 2025 को पड़ रहा है, जिसे भोलेनाथ की आराधना के लिए विशेष शुभ माना जाता है. दूसरी ओर, दक्षिण और पश्चिम भारत में अमांत पंचांग के अनुसार सावन 25 जुलाई 2025 से शुरू होकर 23 अगस्त 2025 तक रहेगा. भक्त इस पूरे महीने भगवान शिव को जल, बेलपत्र, दूध आदि अर्पित कर व्रत रखते हैं और सोमवार के दिन विशेष पूजा का महत्व होता है.

सावन में शिव पूजन के जरूरी नियम—

Sawan 2025 जल्द शुरू होने वाला है सावन.... उससे पहले जान लें बेलपत्र चढ़ाने का ये नियम और भोलेनाथ को प्रसन्न करने का सही तरीका

सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद भगवान शिव की पूजा करें.

संध्या काल में भी शिवलिंग पर जल अर्पित करना पुण्यदायी होता है.

विशेष रूप से सावन के सोमवार को शिव मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें और शिव चालीसा पढ़ें.

जल चढ़ाने के बाद 3, 5, 7, 9 या 11 बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पित करें. बेलपत्र चढ़ाते समय मंत्रोच्चार करते रहें.

खंडित या छिद्रयुक्त बेलपत्र शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए.

जल और बेलपत्र के साथ दूध, दही, शहद आदि पंचामृत भी अर्पित कर सकते हैं.

जल अर्पण करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख रखें.

शिवलिंग पर केतकी के फूल, हल्दी और सिंदूर चढ़ाना वर्जित है.